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Monday, 15 June 2015

पटना के सौरभ ने ढूंढे काली चाय के नए गुण



एक बार फिर बिहारी प्रतिभा ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर सूबे का नाम रौशन किया है। पटना में जन्मे और पले-बढ़े सौरभ दयाल ने अपनी प्रतिभा का लोहा ब्रिटेन को मनवाया है । सौरभ ने यूनिवर्सिटी ऑफ ड्यून्डी के न्यूरोसाइं स इंस्टीट्यूट के शोध दल में शामिल होकर अनूठे खोज को अंजाम तक पहुंचाया है। उनकी खोज के अनुसार, काली चाय में एंटी-डायबिटिक और एंटी-एजिंग गुण होते हैं । यही नहीं शोध ने यह भी साबित किया कि कॉम्बैट टाइप-2 डायबिटिज मरीजों के लिए काली चाय वरदान है । सौरभ और उनके दल का यह अनूठा शोध ‘एजिंग सेल’ जर्नल के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ है ।

सौरभ के अनुसार, हालांकि हरी चाय के बारे में तो यह जानकारी सबको मिल चुकी है कि यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है पर काली चाय के बारे में ऐसा नहीं है । हमने अपने शोध के दौरान उस तत्व को ढूंढ़ा जो टाइप-2 डायबिटिज के दौरान इंसुलिन को रिप्लेस कर देता है और जिस कारण शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन-रोधी हो जाती है और ब्लड शुगर के आवश्यक रेगुलेटर के रूप में विकसित हो जाती है । शोध के दौरान हमने पाया कि काली चाय में थियेफ्लेविन्स और थियेरु बिगिन्स नामक तत्व होता है जो इंसुलिन की तरह व्यवहार क रता है। शोधकर्ताओं की टीम में हालांकि कई और वैज्ञानिक थे पर सौरभ ने सबसे पहले काली चाय के इन गुणों को ढूंढ़ा और यह भी बताया कि यह एंटी-ऐजिंग के लिए भी काफी मददगार होता है। उनके अनुसार, सिर्फ डायबिटिज के मरीजों के लिए ही नहीं बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए काली चाय काफी मददगार होती है ।

शोधकर्ताओं के दल के मुखिया और इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. रेना के अनुसार, शोध के अगले चरण में हमें यह पता करना है कि काली चाय के ये तत्व किस तरह इंसुलिन की तरह व्यवहार करते हैं और इसे किस तरह इलाज में उपयोग किया जा सकता है। डॉ. रेना के अनुसार, यह खोज दुनिया की तेज गति से बढ़ रही महामारी के लिए रामबाण होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डायबिटिज काफी तेजी से फैल रही है और 2030 तक इसकी संख्या बढ़कर 350 मिलियन तक पहुंच जाएगी। पटना में जन्मे सौरभ के पिता और माता डॉक्टर हैं । सौरभ ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पटना में की और फिर उन्होंने कैं सर बॉयोलोजी में पीएचडी की उपाधि पाई


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