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Tuesday, 26 May 2015

वास्तु शास्त्र के हिसाब से करें घर की साज-सज्जा



र्तमान समय में सुविधाएं जुटाना बहुत आसान है। परंतु शांति इतनी सहजता से नहीं प्राप्त होती।हमारे घर में सभी सुख-सुविधा का सामान है, परंतु शांति पाने के लिए हम तरस जाते हैं।वास्तु शास्त्र द्वारा घर में कुछ मामूली बदलाव कर आप घर एवं बाहर शांति का अनुभव कर सकते हैं।कुछ ऐसे ही उपाय नीचे दिए गए हैं :

घर में कोई रोगी हो तो एक कटोरी में केसर घोलकर उसके कमरे में रखे दें। वह जल्दी स्वस्थ हो जाएगा
   
घर में ऐसी व्यवस्था करें कि वातावरण सुगंधित रहे। सुगंधित वातावरण से मन प्रसन्न रहता है
   
घर में जाले न लगने दें, इससे मानसिक तनाव कम होता हैदिन में एक बार चांदी के ग्लास का पानी पिये, इससे क्रोध पर नियंत्रण होता है
   
अपने घर में चटकीले रंग नहीं करायेकिचन का पत्थर काला नहीं रखे कंटीले पौधे घर में नहीं लगाएं भोजन रसोईघर में बैठकर ही करें

शयन कक्ष में मदिरापान नहीं करें अन्यथा रोगी होने तथा डरावने सपनों का भय होता है

इन छोटे-छोटे उपायों से आप जरूर शांति का अनुभव करेंगे।
 वास्तु शास्त्र के हिसाब से कौन सी वस्तु कहां रखें:

सोते समय सिर दक्षिण में पैर उत्तर दिशा में रखें। या सिर पश्चिम में पैर पूर्व दिशा में रखना चाहिए
   
अलमारी या तिजोरी को कभी भी दक्षिणमुखी नहीं रखें पूजा घर ईशान कोण में रखें
   
रसोई घर मेन स्वीच, इलेक्ट्रीक बोर्ड, टीवी इन सब को आग्नेय कोण में रखें
   
रसोई के स्टेंड का पत्थर काला नहीं रखें।दक्षिणमुखी होकर रसोई नहीं पकाए
   
शौचालय सदा नैर्ऋत्य कोण में रखने का प्रयास करें फर्श या दिवारों का रंग पूर्ण सफेद नहीं रखें फर्श काला नहीं रखें
मुख्य द्वार की दांयी और शाम को रोजाना एक दीपक लगाएं

वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर का बाहरी रंग कैसा हो:

यदि आपका घर पूर्वमुखी हो तो फ्रंट में लाल, मैरून रंग करे
पश्चिममुखी हो तो लाल, नारंगी, सिंदूरी रंग करें उत्तरामुखी हो तो पीला, नारंगी करें दक्षिणमुखी हो तो गहरा नीला रंग करें
किचन में लाल रंग।बेडरूम में हल्का नीला, आसमानी ड्राइंग रूम में क्रीम कलर पूजा घर में नारंगी रंग शौचालय में गहरा नीला फर्श पूर्ण सफेद न हो क्रीम रंग का होना चाहिए वास्तु शास्त्र के हिसाब कमरो का निर्माण कैसा हो?

कमरों का निर्माण में नाप महत्वपूर्ण होते हैं। उनमें आमने-सामने की दिवारें बिल्कुल एक नाप की हो, उनमें विषमता न हो।

कमरों का निर्माण भी सम ही करें। 20-10, 16-10, 10-10, 20-16 आदि विषमता में ना करें जैसे 19-16, 18-11 आदि।

बेडरूम में शयन की क्या स्थिति।बेडरूम में सोने की व्यवस्था कुछ इस तरह हो कि सिर दक्षिण मे एवं पांव उत्तर में हो।

यदि यह संभव न हो तो सिराहना पश्चिम में और पैर पूर्व दिशा में हो तो बेहतर होता है।

रोशनी व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आंखों पर जोर न पड़े।

बेड रूम के दरवाजे के पास पलंग स्थापित न करें। इससे कार्य में विफलता पैदा होती है।

कम समान बेड रूम के भीतर रखे। वास्तु शास्त्र और घर की साज-सज्जा

घर की साज सज्जा बाहरी हो या अंदर की वह हमारी बुद्धि मन और शरीर को जरूर प्रभावित करती है।

घर में यदि वस्तुएं वास्तु अनुसार सुसज्जित न हो तो वास्तु और ग्रह रश्मियों की विषमता के कारण घर में क्लेश, अशांति का जन्म होता है।

घर के बाहर की साज-सज्जा बाहरी लोगों को एवं आंतरिक शृंगार हमारे अंत: करण को सौंदर्य प्रदान करता है। जिससे सुख-शांति, सौम्यता प्राप्त होती है।

भवन निर्माण के समय ध्यान रखें। भवन के अंदर के कमरों का ढलान उत्तर दिशा की तरफ न हो। ऐसा हो जाने से भवन स्वामी हमेशा ऋणी रहता है।

ईशान कोण की तरफ नाली न रखें। इससे खर्च बढ़ता है।
 शौचालय: शौचालय का निर्माण पूर्वोत्तर ईशान कोण में न करें।इससे सदा दरिद्रता बनी रहती है।
 शौचालय का निर्माण वायव्य दिशा में हो तो बेहतर होता है। कमरों में ज्यादा छिद्रों का ना होना आपको स्वस्थ और शांतिपूर्वक रखेगा।

 कौन से रंग का हो study room?
 रंग का भी अध्ययन कक्ष में बड़ा प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कौन-कौन से रंग आपके अध्ययन को बेहतर बनाते हैं तथा कौन से रंग का स्टडी रूम में त्याग करना चाहिए।

अध्ययन कक्ष में हल्का पीला रंग, हल्का लाल रंग, हल्का हरा रंग आपकी बुद्धि को ऊर्जा प्रदान करता है तथा पढ़ी हुयी बाते याद रहती है।

पढ़ते समय आलस्य नही आता, स्फुर्ती बनी रहती है। हरा और लाल रंग सर्वथा अध्ययन के लिए उपयोगी है।

लाल रंग से मन भटकता नहीं हैं, तथा हरा रंग हमें सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है।

नीले, काले, जामुनी जैसे रंगो का स्टडी रूम में त्याग करना चाहिए, यह रंग नकारात्मक उर्जा के कारक है।

ऐसे कमरो में बैठकर कि गयी पढ़ाई निरर्थक हो जाती है।

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